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Holi Kyo Manai Jati hai होली क्यो मनाते है।

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रंगों का त्यौहार Holi आप सब आज तक holi को धूमधाम से मनाते आ रहे है पूरे देश मे इस दिन तेज संगीत और ढोल के बीच एक दूसरे पर रंग और पानी फेंका जाता है। पर क्या कभी सोचा है Holi kyo manai jati hai इसका क्या महत्व है इसका इतिहास क्या है औसतन लोगो को इसके बारे में नही पता होगा। आज हम आप सब के इसी सवाल का जवाब देने आए है। इसलिए इस पोस्ट को पूरा पड़े जिससे आपको अच्छी जानकारी मिल सके।

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है इस देश मे हिन्दू,मुस्लिम, सिख,ईसाई, अन्य सभी धर्म के लोग रहते है एवं उन सबको अपने-अपने त्यौहार बिना किसी रोक टोक के मानने का अधिकर है। हिन्दू धर्म का यह पर्व होली को सभी लोग मिलजुल कर मानते है।

संपूर्ण देश मे होली मार्च महीने में पूरे देश मे मनाया जाता है इस दिन सारा देश रंगों के खेल में डूबा होता है होली वसंत का त्यौहार है और इसके आने पर सर्दियां खत्म होती हैं। कुछ हिस्सों में इस त्यौहार का संबंध वसंत की फसल पकने से भी है। किसान अच्छी फसल पैदा होने की खुशी में होली मनाते हैं। इसलिए होली को कई लोग ‘वसंत महोत्सव' भी कहते हैं।

holi ka mahatv kya hai होली भारत के सबसे प्राचीन त्यौहार में से एक है इसे भारत का प्राचीन त्यौहार भी कहते है। यह त्यौहार क्रिस्चन के ईसा मसीह के लाखों साल पहले से मनाया जाता है। तो चलिए इस प्राचीन त्यौहार होली के बारे में अच्छे से जानते है कि होली क्यो मनाया जाता है ?

    Holi क्या है - (Holi kya Hai)

    holi kyo manai jati hai

    Holi भारत के हिन्दू धर्म का एक बहुत ही प्राचीन पर्व है जिसे शादियों से मनाया जाता है। इसे हर साल मार्च महीने में धूमधाम से मनाया जाता है। होली का उल्लेख प्राचीन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है, जैसे कि जैमिनी का पुरवामीमांसा-सूत्र और कथक-ग्राम-सूत्र इसके अलावा भी कई ऐसे श्रोत है जो होली के प्राचीनता के गवाह है।

    यहां भारत के प्राचीन मंदिरों की दीवारों पर होली की मूर्तियां हैं। इनमें से एक विजयनगर की राजधानी हम्पी में 16 वीं शताब्दी का एक मंदिर है। मंदिर में होली के कई दृश्य हैं जिसमे उस समय के लोगों को होली खेलते हुए दिखाये गए है और राजकुमारों और राजकुमारियों को दिखाया गया है जो अपने राज महल में अपने दाशियो और कार्यकर्ता जानो के साथ होली का त्यौहार मना रहे है

    होली कब मनाई जाती है - (Holi kab Manai jati hai)

    होली को 'रंगों का त्योहार’ के रूप में जाना जाता है, मार्च(फाल्गुन) के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश मे होली मनाने के लिए तेज संगीत, ड्रम आदि के बीच विभिन्न रंग -बिरंगे रंगों और पानी को एक दूसरे पर फेंका जाता है एवं चहरे पर लगाया जाता है। भारत में कई अन्य त्योहारों की तरह, होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। प्राचीन पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप की एक पौराणिक कथा है, जिसके कारण यह मनाई जाती है।

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    होली क्यो मनाई जाती है - (Holi Kyo Manai Jati Hai)

    होली मनाने के पीछे एक कथा है सदियो पहले प्राचीन भारत में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था जो एक दानव था। वह था एक दानव लेकिन उसने अपनी तपश्या से भगवान विष्णु से वरदान मांगा था कि उसे किसी शस्त्र से नही मारा जा सकता ,न दिन में में मारा जा सकता है और न रात में ऐसे वरदान उसने भगवान विष्णु से लिये थे जिसके कारण वह अपने आप को बहुत बलशाली समझता था और अपने राज्य की जनता पर जुल्म करता था। 

    उसका एक भाई था जिसे भगवान विष्णु ने उनके कुकर्मो की वजह से मार दिया था। वह अपने छोटे भाई की मृत्यु का बदला लेना चाहता था इसलिए वह भगवान विष्णु से अत्यधिक नफरत करता था। लेकिन इसके साथ ही हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानने लगा और अपने लोगों से उसे भगवान की तरह पूजने को कहा।

    हिरणकश्यप का एक प्रहलाद नाम का जवान बेटा था, जो भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। हिरणकश्यप ने उसे भगवान विष्णु के खिलाफ करने की हजारों कोशिश की लेकिन उसका बेटे प्रहलाद ने कभी अपने पिता के आदेश का पालन नहीं किया और भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। 

    यह सब देखकर राजा सोचने लगा अगर भगवान विष्णु की पूजा मेरे राजभवन में मेरा बेटा कर रहा है तो कल सारी जनता उसकी पूजा करना चाहेगी। इन सब बातों को ध्यानपूर्वक सोच कर उस क्रूर राजा ने अपने ही बेटे को मारने का षडयंत्र रचना चाहा। क्योकि इसके बेटे ने उसकी पूजा करने से इनकार कर भगवान विष्णु की पूजा करना चाहा।

    हिरण्यकश्यप की एक बहन होलिका थी जिसे भी एक वरदान प्राप्त था कि वह आग में जल नही सकती उसके साथ मिलकर हिरणकश्यप में अपने बेटे को मारने का षडयंत्र बनाया। उसकी बहन होलिका ने प्रहलाद को गोद मे लेकर अग्नि में प्रवेश किया ताकि प्रहलाद जलकर भस्म हो जाये मगर उसकी योजना के विपरीत प्रहलाद को कुछ नही हुआ, जो भगवान विष्णु के नाम का पाठ कर रहे थे, वे सुरक्षित थे, लेकिन होलिका जलकर राख हो गई।

    इस कारण से उस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होली का पर्व मनाया जाता है

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    होली कैसे मनाई जाती है - (Holi Kaise Manate Hai)

    भगवान कृष्ण के समय भगवान कृष्ण रंगों के साथ होली का त्यौहार मनाते थे। वह वृंदावन और गोकुल में अपने दोस्तों के साथ होली खेलते थे। इस दिन भगवान कृष्ण गाँव में घूम-घूम कर होली खेला करते थे और इस तरह इसे एक सामुदायिक कार्यक्रम बना दिया। यही वजह है कि आज तक वृंदावन में होली का उत्सव और भी धूमधाम से मनाया जाता है

    होली के दिन सभी अपने पुराने कपड़े पहनते है और गुलाल या अन्य आधुनिक रंग को एक दूसरे पर छिड़कते है बच्चे पानी के अंदर रंग भरकर पिचकारी में भरते बै और आनंद से होली का त्यौहार मानते है। बड़े बुजुर्ग इस दिन अपने रिश्तेदारों दोस्तो को गुलाल से रंग लगाते है। किन्तु आजकल लोग होली के दिन नाश करते है जो कि गलत है यह त्यौहार अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है और इसे पूरे दिल से प्रेमपूर्वक मनाना चाहिए।

    पहले, होली के रंगों को ’टेसू’ या ’पलाश’ के पेड़ से बनाया जाता था जिसे गुलाल के रूप में जाना जाता था। ये गुलाल त्वचा के लिए कोई नुकसान देह नही थे क्योंकि इन्हें बनाने के लिए किसी chemicels का इस्तेमाल नहीं किया जाता था। लेकिन आज कल के रंग जोकि कई केमिकलों के मिश्रण से बनाया जाता है। जो त्वचा के लिए नुकशान देह होते है। इनमे रंगों को लगाने पर कई दिनों तक ये चहरे से नही निकलते हैं। यही कारण है कि बहुत से लोग इस त्योहार को मनाने से बचते हैं। हमें इस पुराने त्योहार का आनंद उत्सव की सच्ची भावना के साथ लेना चाहिए।

    होली में क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए

    1)होली के दिन आपको पुराने कपड़े पहनने चाहिए ताकि रंग से पुराने कपड़े खराब हो नए कपड़े नही

    2)होली में chemiclas वाले रंगों का प्रयोग न करे इससे त्वचा को नुकसान होता है।

    3)जो रंग लगवाने से मना करे उन्हें रंग न लगाएं हो सकता है उन्हें रंगों से एलर्जी हो।

    4)सांस से संबंधित बीमारी वाले को रंग न लगाएं।

    5)होली के दिन गंदे पानी मे रंग न घोले पानी मे रंग घोलने के लिए स्वच्छ पानी का उपयोग करे।

    6)होली वाले दिन नशा न करें, प्रेमपूर्वक एवं हर्षोउल्लास के साथ होली मनाये।

    होली का महत्व(Holi ka Mahatv)

    सभी त्यौहारो में होली त्यौहार का अलग ही महत्व है होली के दिन लोग सुबह से होली के रंगों में रंगे होते हैं। इस दिन हिरणकश्यप जैसे राक्षस की हर और विष्णु भगवान के जीत ,अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली रंगों के त्यौहार के नाम से विख्यात है। इससे यह सिख मिलती है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यो न हो मगर अच्छाई के सामने उसे अपने घुटने टेकने पड़ते है।

    होलिका दहन क्यो किया जाता है।

    होलिका एक राक्षस थी जो हिरणकश्यप की बहन थी। इसको हरिद्रोही नाम से भी जाना जाता है होलिका और उसके भाई हिरणकश्यप ने प्रहलाद को मारने की कोशिश की थी जी असफल रही,इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया, इसलिए होली का त्योहार, होलिका की मौत की कहानी से जुड़ा हुआ है। इसके चलते भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले रात में बुराई के अंत और अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर होली जलाई जाती है।

    विदेशो में होली कैसे मनाई जाती हैं - (Videsho me Holi kaise manai jati hai)

    Holi की प्रसिद्दि केवल भारत ही नाइ बल्कि विदेशों में भी है अलग-अलग देशो में होली का त्यौहार अपने तरीको से मनाया जाता है नेपाल में होली के अवसर पर काठमांडू में एक सप्ताह के लिए प्राचीन दरबार और नारायणहिटी दरबार में बाँस का स्तम्भ गाड़ कर आधिकारिक रूप से होली मनाई जाती है। इसके अलावा पाकिस्तान, बंगलादेश, श्री लंका और मरिशस में भारतीय परंपरा के अनुरूप ही होली मनाई जाती है। पुराने समय मे कई सारे भारतीय कैरिबियाई देशो में जाकर बस गए थे। इसलिए यहा होली को फगुआ नाम से मनाई जाती है। विदेश के कई विश्वविद्यालयों में भी होली का पर्व मनाया जाता है।

    Holi Kyo Manai Jati Hai

    होली के ऊपर यह पोस्ट आपको कैसा लगा हमे उम्मीद है कि आपको होली क्यो मनाई जाती है(Holi kyo manai jati hai),होली का क्या महत्व है ,कैसे मनाई जाती है आदि विषय पर आपको अच्छी जानकारी मिली होगी। मेरी यही कोशिश होती है कि मैं आपको अच्छी जानकारी दु। आपको यह पोस्ट कैसा लगा कमेंट करके बताये, अगर कोई सवाल हो तो भी बताएं।

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